जद्दोजेहद पहचान पाने की..... -जाहिद खान किसी भी समाज को गर अच्छी तरह से जानना-पहचाना है, तो साहित्य एक बड़ा माध्यम हो सकता है। साहित्य में जिस तरह से समाज की सूक्ष्म विवेचना होती है, वैसी विवेचना समाजशास्त्रीय अध्ययनों में भी मिलना नामुमकिन है। कोई उपन्यास, कहानी या फिर आत्मकथ्य जिस सहजता और सरलता से पाठकों को समाज की जटिलता से वाकिफ कराता है। वह सहजता, सरलता समाजशास्त्रीय अध्ययनों की किताबों में नही मिलती। यही वजह है कि ये समाजशास्त्रीय अध्ययन अकेडमिक काम के तो हो सकते हैं, लेकिन...
वैश्विक आर्थिक उठापटक, देश में तेज़ी से बदलते सामाजिक और राजनितिक हालात, इंसानी रिश्तों में बढ़ता खोखलापन इस तरह से हावी हुआ कि उपन्यास पहचान की नींव पड़ी. युनुस का चरित्र आकार लेने लगा...



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